अगर IVF से संतान होने का सपना टूट जाये तो क्या होना चाहिए आपका अगला कदम? आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) उन
कपल्स के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो लंबे समय से माता-पिता बनने का सपना देख रहे हैं। कई बार अच्छी से अच्छी कोशिश के
बाद भी IVF फेल हो जाता है। लेकिन, IVF का फेल होना, रास्ता बंद होना नहीं है, बल्कि यह समझने का मौका है कि दिक्कत कहां
आ रही है।
आखिर IVF fail kyo hota hai, इसके पीछे यह जानना जरूरी है कि शरीर के अंदर क्या चल रहा होता है और IVF fail hone ke
lakshan क्या हैं? इस आर्टिकल के जरिए हम बहुत ही आसान भाषा में इन सवालों के जवाब जानेंगे, ताकि आप अपनी अगली कोशिश के
लिए मजबूती से तैयार हो सकें।
आईवीएफ प्रक्रिया में भ्रूण यानि एम्ब्रीओ (Embryo) को गर्भाशय यानि यूट्रस(Uterus) में ट्रांसप्लांट के बाद के 14 दिनों को 'Two-week wait' कहा जाता है। इस दौरान प्रेगनेंसी को बनाये रखने वाले हार्मोन यानी प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) की दवाओं की वजह से आपको प्रेगनेंसी (Pregnancy) जैसे लक्षण जैसे जी मिचलाना या थकान लग रहे हों लेकिन हो सकता है प्रेगनेंसी न हुयो हो। लेकिन अगर ivf fail hone ke lakshan की बात करें, तो शरीर कुछ खास इशारे देता है:
अगर आपको ऐसे लक्षण दिखें, तो खुद से दवाइयां बंद न करें। डॉक्टर से मिलें, क्योंकि कभी-कभी ब्लीडिंग के बावजूद प्रेगनेंसी हो सकती है।
एम्ब्रीओ इम्प्लांट होने और प्रेगनेंसी ठहरने करने के लिए एम्ब्रीओ और यूट्रस दोनों का सही होना जरूरी है। ivf fail hone ke karan इन्हीं दोनों में छिपे होते हैं:
नेगेटिव रिजल्ट आने के बाद, मन में अगला सवाल शरीर की रिकवरी को लेकर होता है कि ivf fail hone ke kitne din baad period aata hai?
यह पीरियड आपके सामान्य दिनों से थोड़ा अलग हो सकता है। इसमें ज्यादा ब्लीडिंग होने के साथ ज्यादा दर्द भी हो सकता है।
एक बार असफल होने का मतलब यह नहीं है कि आप कभी माता-पिता नहीं बन पाएंगे। IVF में क्युमुलेटिव सक्सेस रेट (Cumulative Success Rate) यानी 'संचयी सफलता दर' का नियम काम करता है। इसका मतलब है जितनी बार आप कोशिश करते हैं, सफलता की संभावना जुड़ती जाती है। तो सवाल आता है, ivf kitni baar karna chahiye?
फर्टिलिटी एक्सपर्ट्स आमतौर पर 3 पूरे साइकिल (3 Full Cycles) तक प्रयास करने की सलाह देते हैं। पहली बार में डॉक्टर आपके शरीर की प्रतिक्रिया (Response) को समझते हैं। अगर वह फेल होता है, तो दूसरी बार वे दवाइयों का डोज और तकनीक बदलकर जैसे एम्ब्रीओ ग्लू या लेजर हैचिंग का यूज करके सफलता की पॉसिबिलिटी को बढ़ा देते हैं।
अगर आपका आईवीएफ फेल हो गया है, तो निराश होकर बैठने की बजाय डॉक्टर से इन एडवांस तकनीकों पर चर्चा करें:
आईवीएफ का सफर एक मैराथन जैसा है, यह कोई 100 मीटर की रेस नहीं। एक विफलता आपकी पूरी कहानी खत्म नहीं करती। साइंस आज इतनी आगे बढ़ चुका है कि ivf fail hone ke karan का सटीक पता लगाकर इलाज संभव है। कई कपल्स ऐसे हैं जिन्होंने पहली या दूसरी हार के बाद, सही कारणों को सुधारा और आज वे एक स्वस्थ बच्चे के माता-पिता हैं। जरूरत है तो बस धैर्य रखने की और सही डॉक्टर पर भरोसा करने की।
जरुरी नहीं। ग्लोबल लेवल पर पहली बार में आईवीएफ की सफलता दर लगभग 35-40% के आसपास होती है। बहुत से लोग दूसरे या तीसरे प्रयास में सफल होते हैं।
हाँ, यह बहुत जरूरी है। डॉक्टर पिछले साइकिल की रिपोर्ट देखते हैं और अगली बार 'स्टिमुलेशन प्रोटोकॉल' (इंजेक्शन और दवाइयां) बदलते हैं ताकि एग्स की क्वालिटी बेहतर हो सके।
अगर खुद के एग्स या स्पर्म से बात नहीं बन रही है, तो डॉक्टर डोनर एग्स (Donor Eggs) या डोनर एम्ब्रीओ की सलाह दे सकते हैं, जिनकी सक्सेस काफी ज्यादा होती है।
तनाव सीधे तौर पर आईवीएफ फेल नहीं करता, लेकिन यह आपके हार्मोन्स को बिगाड़ सकता है, जिससे यूट्रस का एनवायरनमेंट खराब हो सकता है। इसलिए इस दौरान खुश रहना इलाज का पार्ट है।